अंतहीन दौड़
पंजाब के सुविख्यात कवि डा . अमरजीत कोंके वो साहित्य प्रेमी है जिन्हों ने बहुत ही थोड़े समय में अपने अथक प्रयास और सशक्त लेखनी से पंजाबी साहित्य के साथ साथ हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है | भावनाएं किसी भाषा किसी सरहद की मोहताज नही होती है | अमरजीत जी की रचना धर्मिता इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है |
२७ अगस्त १९६४ में जन्मे डा . अमरजीत कोंके ने पंजाबी साहित्य में स्नातकोतर की शिक्षा के उपरांत पी . एच . ड़ी प्राप्त की और वर्तमान में लेक्चरार के पद पर नियुक्त हैं |
इन्होने पंजाबी में ' दायरियाँ दी कब्र चों ','निर्वाण दी तलाश विच ',' द्वंद कथा' , 'यकीन' ,'शब्द रहेनगे कोल' , 'स्मृतियाँ दी लालटेन 'आदि काव्य पुस्तकें लिखीं वही दूसरी तरफ हिंदी में 'मुट्ठी भर रौशनी', 'अँधेरे में आवाज' और 'अंतहीन दौड़' नामक काव्य संग्रह की रचना की . | डा . कोंके ने हिंदी के कई कवियों की रचनाओ का पंजाबी में तथा कई पंजाबी रचनाओ का हिंदी में अनुवाद कर के श्रेष्ठ अनुवादको की श्रेणी में अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की है|